सिंधु घाटी सभ्यता
यह सभ्यता सिंधु नदी के तट पर मिली थी इसीलिए सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैं और इसकी सबसे पहले जानकारी हड़प्पा की खुदाई से हुई थी इसीलिए हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।सिंधु घाटी का विकास 2500 ई. पूर्व से 1750 ई. पूर्व तक माना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे पहले शहरी सभ्यता थी । चार्ल्स मैसन ने सर्वप्रथम 1826 ई. में इसकी जानकारी दी।
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे पहले शहरी सभ्यता थी । चार्ल्स मैसन ने सर्वप्रथम 1826 ई. में इसकी जानकारी दी।
1921 ई. में तत्कालीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल( इंग्लैंड )के समय रायबहादूर दयाराम साहनी ने हडप्पा की खोज की।
सिंधु सभ्यता का विस्तार
- उत्तरी सीमा : मांडा / जम्मू
- दक्षिणी सीमा - दैमाबाद / महाराष्ट्र
- पूर्वी सीमा : अलमगीरपुर / उत्तर प्रदेश
- पश्चिमी सीमा : सुत्कागेनडोर / बलूचिस्तान
सामाजिक जीवन :
सिंधु सभ्यता के समाज का स्वरूप मातृसत्तात्मक था और सिंधु सभ्यता का समाज 4 क्यों में बटा हुआ था।1. विद्वान वर्ग
2. योद्धा वर्ग
3. व्यापारी एवं शिल्पी वर्ग
4 श्रमिक वर्ग
2. योद्धा वर्ग
3. व्यापारी एवं शिल्पी वर्ग
4 श्रमिक वर्ग
शवाधान प्रणाली : सिंधु सभ्यता के लोग अपने मृतकों को 3 प्रकार से अंतिम संस्कार करते थे।
1.पूर्ण शवाधान : मृतकों को कब्र में दफनाने के परंपरा ।
2.आंशिक शवाधान मृतक के शरीर को जंगल में रख देना जब पशु पक्षी उसके मांस को खा लेते थे तो हडिडयों को दफना देना।
2.आंशिक शवाधान मृतक के शरीर को जंगल में रख देना जब पशु पक्षी उसके मांस को खा लेते थे तो हडिडयों को दफना देना।
3.दाह संस्कार : मृतक को जलाने की परंपरा ।
नगर नियोजन
- सिंधु सभ्यता के नगर विश्व के प्राचीनतम सनियोजित नगर है।
- हडप्पा और मोहनजोदडो में मकानों के निर्माण में सामान्यता पक्की ईंटो का प्रयोग मिलता है।( घर बनाने की पद्धति -ग्रिड )
- सिंधु सभ्यता में जो मकान के दरवाजे होते थे वह मुख्य सड़कों पर न खुलकर पीछे की ओर गलियों में खुलते थे।
- सिंधु सभ्यता में सर्वाधिक चौड़ी सड़क सोहनजोदड़ों से प्राप्त हुई है जिसकी चौड़ाई लगभग 10 मीटर थी।
- सामान्यतः मकानों में चार पांच कमरे बनाए जाते थे मकान में आंगन, रसोईघर, स्नानागार, कुएँ तथा कुछ बड़े घरों में शौचालय भी मिले हैं।
- ढकी हुई नालियां भी मिली है।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
हड़प्पा (1921):-
इसकी खुदाई दयाराम साहनी ने 1921 में की यह रावी नदी तट पर वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है और यहाँ से निम्नलिखित वस्तुएँ मिली हैं-- श्रमिक आवास
- अन्नागार
- लकड़ी का ताबूत
- RH-37 कब्रिस्तान
मोहनजोदडो ( 1922 ) :-
मोहनजोदड़ों सभ्यता का उत्खनन 1922 ई. में राखल दास बनर्जी ने किया। वर्तमान में यह सिंधु नदी के तट पर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लरकाना जिले में है।
मोहनजोदड़ों का अर्थ है- मृतकां का टीला
यहाँ से निम्नलिखित वस्तुए मिली हैं-
यहाँ से निम्नलिखित वस्तुए मिली हैं-
- पुरोहित आवास
- अन्नागार
- विशाल स्नानगृह
- घर में कुआं
- आदि- शिव
- कांसे की बनी नर्तकी की मृत
- सबसे चौड़ी सड़क
चन्हुदड़ो:-
इसकी खुदाई गोपाल मजूमदार ने की और वर्तमान में यह सिंधु नदी के तट पर पाकिस्तान में स्थित है। यह एकमात्र ऐसा शहर है जो दुर्ग रहित है यह औद्योगिक शहर है।
यहाँ से निम्नलिखित वस्तुएं मिली हैं-
- लिपिस्टिक
- शीशा
- मनके और गुड़िया
- कुत्ते और बिल्ली के पैरों के निशान
रोपड़ :-
इसकी खुदाई यज्ञदत्त शर्मा ने की और यह वर्तमान में पंजाब में सतलुज नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ से निम्नलिखित वस्तुएं मिली हैं- . यहाँ पर मानव के साथ कुत्ते को दफनाए जाने का प्रमाण मिला है। नवपाषाण काल में ऐसे ही शव बुर्जहोम में मिला था।कालीबंगा :-
इसकी खुदाई B. K. थापड तथा B. B. लाल ने की, वर्तमान में यह राजस्थान में घग्घर नदी के किनारे स्थित है।
कालीबंगा का अर्थ होता है -काली मिट्टी की चूड़ी
यहाँ से निम्नलिखित वस्तुएँ मिली है-- हल से जूते हुए खेत के निशान
- अलंकृत ईट
- हवन कुंड
- चूड़ी
धौलावीरा :-
इसकी खुदाई रविंद्र सिंह बिष्ट ने की थी ।यहां से स्टेडियम के प्रमाण मिले हैं।
सुरकोटदा :-
इसका उत्खनन जगपति जोशी ने करवाया, वर्तमान में ये गुजरात में स्थित है।
यहाँ से घोड़े की हड्डियाँ मिली है लोथल :-
लोथल सभ्यता का उत्खनन एस. आर. राव ने भोगवा नदी के किनारे अमदाबाद-गुजरात में करावाया था।
यहाँ से निम्नलिखित वस्तुएं मिली हैं-
Q.1- सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार का वर्णन करोयहाँ से निम्नलिखित वस्तुएं मिली हैं-
- यहाँ से सिंधु सभ्यता का बंदरगाह मिला है और
- यहाँ घर के दरवाजे सड़कों की ओर मिलते थे।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता, सैंधव सभ्यता, कांस्य युगीन सभ्यता भी कहा जाता है।
- सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी जो कि दाएं से बाएं ओर लिखी जाती थी और अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी।
- सैंधववासी विश्व में कपास के प्रथम उत्पादक थे इसीलिए यूनानियों ने कपास का नाम खण्डोन रखा जिसका अर्थ है सैंधववासियों की उपज
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि करते थे (पशुपालन भी करते थे परंतु उनका मुख्य मुख्य व्यवसाय व्यापार था।
- इस सभ्यता के लोग माप-तौल से परिचत थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
- हड़प्पा सभ्यता के मोहरों में बहुत से जानवरों के चित्र मिले हैं पर शेर के चित्र नहीं मिले।
- हड़प्पा सभ्यता की मोहरों में सेलखंडी का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया गया था।
FAQ
Ans.-सिंधू घाटी सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और पहली शहरीय सभ्यता थी । जिसका पूरा वर्णन हमने इस आर्टिकल मे किया है
Q.2-सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कब हुई
Ans.-इसकी खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है। जिन्होंने इसकी खोज "सन् 1921" में की थी।
Q.3-सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास कहां हुआ है
Ans.-इसकी खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है। जिन्होंने इसकी खोज "सन् 1921" में की थी।
Q.3-सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास कहां हुआ है
Ans.-उत्तरी सीमा : मांडा / जम्मू
दक्षिणी सीमा - दैमाबाद / महाराष्ट्र
पूर्वी सीमा : अलमगीरपुर / उत्तर प्रदेश
पश्चिमी सीमा : सुत्कागेनडोर / बलूचिस्तान
Q.4-सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था?
Ans.-सिंधु घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय "कृषि" था। गेहूं, जौ, मटर, और केला जैसी फसलें उगाई गईं।
Q.5-सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?
Q.5-सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?
Ans.-दक्षिण एशिया में कांस्य युग प्राचीन सभ्यता थी, जो विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है।
Ans.-क्योंकि इस सभ्यता की खुदाई सबसे पहले वर्तमान पाकिस्तान में स्थित 'हड़प्पा' नामक स्थल पर हुई थी
Ans.-"राखीगढ़ी" हरियाणा के हिसार जिले में स्थित एक गांव हैं
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